Voice of Soul
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जो कुछ हुआ अच्छा ही हुआ फिर एक सपना टूटा,
दर्द हुआ खून बहा,
बैठ गए फिर मयखाने मे,
देखते रहे उन सभी आँखों को,
भुलाने आये जो दर्द जमाने के,
पी ली फिर वो शराब जो पी न सका कोई अब तक,
पीते रहे खुद की वो शराब,
जो बहती है कही मेरे मन मे ,
नशा था होश था और थे बहुत से अहसास,
जो होते रहे निरंतर पंगती बढ़….
सूखे ताल मे बसी पानी की वो खुशबु,
जो भीनी-भीनी बहती हवा संग,
कुछ तो कहती है खामोशी से बड़ी,
जिसमे मे घुलता चला जाता हु……/\…….
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