Voice of Soul
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साँसो के सुरो मे,
धडकनों के ताल बद्ध,
बजते संगीत मे,
बन जाती है ज़िंदगी इबादत,
जिसे सजदा करू बस जीकर,
गाकर-खाकर और पीकर,
जाम शराब के ऐसे,
जो उतरे न कभी।
नित दिन बस चड़ती ही जाये,
ओर भर दे ऐसे होश मे,
फिर बेहोश होना मुश्किल पड़ जाये,
जीते जीते कभी मरना भी पड़े गर,
लगा लू उसाय भी गले से ऐसे,
जैसे लैला हो मजनू की वो,
जो होकर एक मिल न सके कभी,
मिलना उनका
बड़ी मुद्दत के बाद,
किनही अनजान
राहो मे,
चल पड़े जब वो साथ-साथ,
हाथ पकड़े एक दुसरे का…..
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