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असीम और शून्य….

Voice of Soul
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इश्क़ है क्या,

दर्द है क्या,

सुख है क्या,

दुख है क्या,

भूख है क्या,

राग है क्या,

भाव है क्या,

सांस है क्या,

अहम है क्या,

कुछ भाव ही तो है।

जिसके पार भी है कुछ,

जो है शब्दो से भी पार,

कुछ अनछूये,

कुछ अंजाने,

अद्भुद

और

अदित्य

जहा न रोशनी,

और न अंधकार,

होता हूं विस्मृत,

द्र्श्य देख यह,

जिसे देखा कैसे,

कह न सका कभी,

इंद्रियो के पार,

ऐसा जगत,

जहां सारे नियम,

और बंधन,

छूट जाते,

कही पीछे,

बंधनमुक्त,

असीम और शून्य….

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