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कहता हूँ…

Voice of Soul
Voice of Soul
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कहता हूँ यूँ ही कभी मन बहलाने की खातिर,
कभी मेरे भी दिन आयेंगे,
क्योकि हर कुत्ते का दिन जरुर आता है….

छाती है उदासी जब-जब मन में,
कहता हूँ खुद से तब यूँ ही अक्सर,
हँस ले बेटा हर कुत्ते को मौका नहीं मिलता यूँ ही बार-बार….

भीड़ में हो जाता हूँ अकेला जब कभी यूँ ही,
हँस कर कह देता हूँ खुद से तब यूँ ही कभी,
पूँछ कुत्ते की रहेगी टेडी की टेडी,
चाहे डाल दो नली में १०० साल उसको…

अब समझ नहीं आता १०० साल ही क्यों,
इतने समय में तो पूछ अकड़ कर सीढ़ी हो ही जायेगी….

पर फिर भी इसकी है किसको फिकर,
करते है अक्सर यही ज़िकर,
ये कुत्ता भी है बड़ा ही कमाल का जानवर,
चाहे इससे बना लो गाली,
करवा लो चाहे इस से रखवाली,
और चाहो तो कभी मेरी ही तरह,
खुद से ही कर लो थोड़ी कुत्ताचाली….

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