Voice of Soul
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काहू लै पाहन पूज धरयो सिर,
काहू लै लिंग गरे लटकायो॥
काहू लखयों हरि अवाची दिसा महि,
काहू पछा को सीस निवायो॥
कोऊ बुतान को पूजत है पसु,
कोऊ मृतान कऊ पूजन धाईओ॥
कूर क्रिया उरझियों सभ ही जग॥
श्री भगवान को भेद न पाइयो॥ 10॥ 30 ॥
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