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आह

Voice of Soul
Voice of Soul
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गरीब हूँ, पर इतना नहीं,
कि चंद अलफाज मोहब्बत के कह न सकूँ…
गरीब हूँ, पर इतना नहीं,
कि इक घड़ी यूं ही मुस्कुरा न सकूँ…
गरीब हूँ, पर इतना नहीं,
कि महाफ़ील-ए-मैखाने की सजा न सकूँ…
करूँ जो तुझे याद छोड़कर सभी,
ऐसा भी बेईमान नहीं,
कि सब छोड़ न सकूँ…

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