Menu
blogid : 15302 postid : 1319849

जिन्दगी

Voice of Soul
Voice of Soul
  • 69 Posts
  • 107 Comments

चला था नापने पैमानों में जिन्दगी,
मंदिरों में कभी तो कभी मयखानों में जिन्दगी।
उजालों से अंधेंरों में चलकर,
देखी है हर जमाने में जिन्दगी।
मोहब्बत के अफसानों से लेकर,
नफरतों के उन विरानों में जिन्दगी।
समझ न सका जब ये जिन्दगी है क्या?
मालूम पड़ा खुदा की मेहरबानी है जिन्दगी।
हंसा कभी तो कभी मैं रोया,
बिना इल्म के बड़ी परेशानी है जिन्दगी।
पैदा किया जब से खालिक ने खल्क को,
तभी से मुकर्रर, कि फ़ानी है जिन्दगी।
बचपन गया, जवानी गयी, बुढ़ापे में आकर,
कहा दिल ने यही,
बड़ी दिलचस्प कहानी है जिन्दगी।
लिखूं अब मैं कैसे!
कहूं अब मैं कैसे!
शब्दों से बाहर की कहानी है जिन्दगी।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh